saudagar aur Jin ki kahani part 1

Rizwan Ahmed (Saif)

बहुत पुरानी बात है किसी शहर में एक अमीर सौदागर  रहता था, जो बहुत ज्यादा दौलतमंद था,
एक बार की बात है वो किसी काम से सफर पर निकला, रास्ते में उसका गुजर एक वीरान जंगल से हुआधूंप को तपिश इतनी ज्यादा थी के उसको अपना सफर जारी रखना मुश्किल हो गया, इसलिए उसने कहीं रुकने की गरज से किसी महफूज जगह को तलाश करना शुरू किया

थोड़ी दूर चल कर उसे रास्ते में एक घना छांवदार दरखत नजर आया, गर्मी का सताया हुआ सौदागर उस दरखत नीचे बैठे गया और अपने थैले से खजूरें निकाल कर खाने लगा, अभी खाने से फारिग हुआ ही था, एक भयानक सा जिन हाथों में तलवार लिए गराजता बरसता हुआ उसे दिखाई दिया، 
जिन गुस्से में था बहुत ही ज्यादा गुस्से में और कह रहा था के तूने जो खजूरेँ खाकर उनकी गुठलियां फैंकी हैं उन में से एक गुठली मेरे बेटे के सर पर लगी है और वो मर गया, और अब मैं तुझे उसके इंतकाम में कत्ल करूंगा, सौदागर बहुत घबराया और कहने लगा के आप मुझे एक साल की मोहलत दीजिए, ताकि मैं अपनी दौलत का कुछ इंतजाम कर दूं और कर्जदारों का कर्जा अदा कर दूं ,
जिन मान गया और सौदागर से कहने लगा के मुझे तुम्हारी दरख्वास्त मंजूर है मगर मुझे धोखा देने की कोशिश मत करना वरना तुम्हारा अंजाम मौत से भी बदतर करूंगा और साल गुजरने का इंतजार करने लगा,

सौदागर जिस काम के लिए निकला था उस काम को अधूरा छोड़ कर वापस घर की तरफ चल दिया,
घर पहुंच कर उसने तमाम किस्सा अपनी बीवी को सुनाया,
और इसके बाद उसने एक एक कर के सब लोगों से अपना लेन देन पूरा कर लिया और साल गुजरने के बाद अपने बीवी बच्चों को रोता छोड़ कर वादे के मुताबिक उसी दरखत के नीचे आकर बैठ गया,

अभी उसे आए ज्यादा देर नहीं हुई थी के एक बूढ़ा आदमी हिरनी के गले में रस्सी डाले उसकी ओर चला आ रहा था,
उस बूढ़े आदमी ने आकर सौदागर से पूछा के आप कौन हैं और इस वहशतनक जंगल में तन्हा बैठे किया कर रहे हो
सौदागर ने इस बूढ़े को अपनी सारी दास्तान सुनाई तो बूढ़ा कहने लगा के जब तक तुम्हारे मामले का अंजाम ना देख लूं मैं आगे नहीं जाऊंगा चुनांचे वह भी वहां पर बैठकर जिन का इंतजार करने लगा, 

वह दोनों वहीं आपस में बैठकर बातें कर रहे थे कि तभी एक और शख्स दो कुत्तों के साथ में वहां पर आ गया और कहने लगा कि आप दोनों यहां वीरान जंगल में बैठकर क्या कर रहे हैं सौदागर ने उसको भी अपना पूरा वाकया सुना दिया तो वह आदमी भी उन्हीं के साथ बैठ करके जिन का इंतजार करने लगा थोड़ा वक्त गुजरा के एक और आदमी खच्चर पर बैठकर वहां आ गया, उसने भी तीनों से यही सवाल पूछा कि तुम लोग यहां बैठ कर किया कर रहे हो सौदागर ने उसको भी अपना पूरा वाकया सुना दिया, 

इन चारों को अभी यहां कर बैठे कुछ ही देर गुजरी थी के तभी वही खतरनाक जिन हाथों में तलवार लेकर वहां पर आ गया और अपनी गराजती हुई आवाज से कहने लगा कि आज तुम्हारी मोहलत खत्म हो गई है,

सौदागर बेचारा डर के मारे रोने लगा जैसे ही जिन हाथों में तलवार के सौदागर की तरफ बढ़ा तो तभी वो हिरनी वाला बूढ़ा जिन के सामने बेखौफ हो कर खड़ा हो गया और कहने लगा के मेरी और हिरनी की बहुत अजबनाक कहानी है, अगर मैं तुमको सुनाऊं तो किया तुम इस की एक तिहाई सजा माफ कर दोगे, जिन ने थोड़ी देर सोचा और कहने लगा के ठीक है अगर मुझे तुम्हारी कहानी पसंद आई तो मैं सौदागर की एक तिहाई सजा माफ कर दूंगा,
जारी है...............

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