meri ghazlen



रिज़वान अहमद (सैफ) 



हमने उनके घर जाना छोड़ दिया 

प्यार मोहब्बत जाताना छोड़ दिया 

जिसकी हंसी पे मर मिटे थे कभी हम 

आज उसी ने हमें देख कर मुस्कुराना छोड़ दिया 

उसने दिल का हाल बताना छोड़ दिया 

हमने भी गहराई में जाना छोड़ दिया 

जब उसको ही दूरी का अहसास नहीं 

हमने भी अहसास दिलाना छोड़ दिया 

मैंने कहा आगे रास्ता है दुश्वार बहूत 

उसने तब से साथ निभाना छोड़ दिया 

हमने कहा करना याद दुआओं में हमें 

तब उसने हाथ दुआओं में उठाना छोड़ दिया 

 

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