रिज़वान अहमद (सैफ)
हमने उनके घर जाना छोड़ दिया
प्यार मोहब्बत जाताना छोड़ दिया
जिसकी हंसी पे मर मिटे थे कà¤ी हम
आज उसी ने हमें देख कर मुस्कुराना छोड़ दिया
उसने दिल का हाल बताना छोड़ दिया
हमने à¤ी गहराई में जाना छोड़ दिया
जब उसको ही दूरी का अहसास नहीं
हमने à¤ी अहसास दिलाना छोड़ दिया
मैंने कहा आगे रास्ता है दुश्वार बहूत
उसने तब से साथ निà¤ाना छोड़ दिया
हमने कहा करना याद दुआओं में हमें
तब उसने हाथ दुआओं में उठाना छोड़ दिया
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