shayari ka khazana

 


Rizwan Ahmed Saif




پاؤ جو میرے بعد کسی کو مجھ جیسا 

مت کرنا کسی کے ساتھ میرے بعد مجھ جیسا 

पाओ जो मेरे बाद किसी को मुझ जैसा 

मत करना किसी के साथ मेरे बाद मुझ जैसा 

Paao jo mere baad kisi ko mujh jaisa 

mat karna mere baad kisi ke sath mujh jaisa 


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ज़रा याद कर वो कौन था 
जो कभी तुझे भी अज़ीज़ था 

Zara yaad kar wo kaun tha 
jo kabhi tujhe bhi aziz tha 



ڈوبنا بھی پڑتا ہے ابھرنے کے لیے 
غروب ہونے کا مطلب زوال نہیں ہوتا 

डूबना भी पड़ता है उभरने के लिए 
ग़ुरूब होने का मतलब ज़वाल नहीं होता 

Doobna bhi padta hai ubharne ke liye 
guroob hone kamtlab zawal nahi hota 




پانی کی طرح بہ گیں صدیاں کبھی کبھی 
اکثر ہوا یوں بھی کے لمحے ٹھہر گئے 
पानी की तरह बह गईं सदियां कभी कभी 
अक्सर हुवा यूं भी के लम्हे ठहर गए 
Paani ki tarah bah gain sadiyan kabhi kabhi 
aksar huwa yoon bhi ke lamhe thahar gaye




گرا دیتے ہیں بڑے سے بڑے بہادر انسان کو بھی
 پرانی یاد بکھرے سپنے ٹوٹے خواب جھوٹھے وعدے

गिरा देते हैं बड़े से बड़े बहादुर इंसान को भी 
पुरानी याद बिखरे सपने टूटे ख्वाब झूठे वादे

Gira dete hain bade se bade bahadur insan ko bhi 
purani yad pkhre sapne toote khwab jhoote waade  




بے مطلب بے فضول بیکار نہیں ہیں 
یہ نیے دور کے رشتے ہیں بس وفادار نہیں ہیں 

बेमतलब बेफिज़ूल बेकार नहीं हैं 
ये नये दौर के रिश्ते हैं बस वफदार नहीं हैं 

Bematlab befizool bekar nahi hain
ye naye daur ke rishte hain bas vafadar nahi hain,





تیرے بدلنے کا دکھ نہیں ہے
میں اپنے اعتبار پر شرمندہ ہوں

तेरे बदलने का दुःख नहीं है 
मैं अपने ऐतबार पर शर्मिंदा हूँ 

Tere badalne ka dukh nahi hai 
main apne aitbar par sharminda hun 




بس یہی سوچ کر پی لیتی ہوں کڑوے گھونٹ زندگی
زندگی جو آنے والی ہے شاید میٹھی ہو جائے 

बस यही सोच कर पी लेती हूँ कड़वे घूँट 
ज़िंदगी जो आने वाली है शायद मीठी हो जाए 

Bas ye soch kar pee leti hun kadwe ghoont 
zindagi jo aane wali hai shayad meethi ho jaaye 



تم نبھانے کی بات کرتے ہو انھ گھسیٹنا مسھکل ہے 
وو تاللک کے جنکے دلوں مے فرق آ جائے 

तुम निभाने की बात करते हो उन्हें घसीटना मुश्किल है 
वो ताल्लुक के जिनके दिलों में फ़र्क़ आ जाए 

Tum nibhaane ki baat karte ho unhe ghaseetna mushkil hai 
wo talluk ke jisnke dilon mei farq aa jaye 




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