جس نے مردوں کو جلایا وہ تو کافر ٹھہرے
عشق زندوں کو جلاتا ہے، ہے کوئی فتوی کیا
जिसने मुर्दों को जलाया वह तो काफीर ठहरे इश्क ज़िंदों को जलाता है, है कोई फतवा किया
Jisne jindo ko jalaya vah to kafir thehre
Ishq zindon Ko jalata hai hai, koi fatwa kya
مدت ہوئی کے آپنے دیکھا نہیں ہمیں
مدت کے بعد آپ سے دیکھا نا جائیگا
मुद्दत हुई के आपने देखा नहीं हमें
मुद्दत के बाद आपसे देखा ना जाएगा
Muddat hui ki aapane dekha nahin hamen
Muddat ke bad aapse dekha Na jaega
اب تو غم کا غم ہے نا خوشی کی خوشی مجھے
پتھر بنا چکی ہے یہ زندگی مجھے
अब तो ग़म का गम है ना खुशी की खुशी मुझे
पत्थर बना चुकी है ये ज़िन्दगी मुझे.!!
Ab to gham ka gham hai na khushi ki khushi mujhe
Patthar bnaa chuki hai ye zindgi mujhe.
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اب تیرا اعتبار نہیں کرنا ہےایے دل
اجاڈ کر بیٹھا ہے ہمیں بے امان کہیں کا
अब तेरा ऐतबार नहीं करना है ऐ दिल
उजाड़ कर बैठा है हमें बेईमान कहीं का
Ab tera aitbar nahi karna aye dil
ujaad kar baitha hai hamen beiman kahin ka,
چھوڈ گئے ہو کوئی بات نہیں
سکوں ملا یا نہیں بس اتنا بتا دو.
छोड़ गए हो कोई बात नही
सुकून मिला या नही बस इतना बता दो
Chhod gaye ho koi baat nahin
Sukoon mila ya nahi bas itna bata do
ایسے ملو کے ملنے کی فرصت بھی کم پڑے
وو وقت بن کے آو کے تالے نا جا سکو
ऐसे मिलो के मिलने की फुर्सत भी काम पड़े
वो वक़्त बन के आओ के टाले ना जा सको
Aise milo ke milne ki fursat bhi kam pade
wo waqt ban ke aao ke taale na jaa sako
زور زبردستی سے چلتا نہیں تعلق کسی سے
پرندوں کو پنجرے سے محبت نہیں ہوتی
ज़ोर ज़बरदस्ती से चलता नहीं ताल्लुक किसी से
परिंदों को भी पिंजरे से मोहब्बत नहीं होती
Zor zabardasti se chalta nahi talluk kisi se
parindon ko pinjre se mohbbt nahi hoti
کبھی مخلص تو کبھی منافق ہے
یہ مطلب پرست لوگ ماحول کے مطابق ہیں
कभी मुख्लिस तो कभी मुनाफ़िक़ हैं
ये मतलबपरस्त लोग माहौल के मुताबिक़ हैं,
Kabhi mukhlis to kabhi munafiq hain
ye matlab prast log mahol ke mutabiq hain
ذرا سی بات ہوتی ہے تو تنہا چھوڈ جاتے ہیں
موہببت کرکے لوگوں سے سمبھالی کیوں نہی جاتی
ज़रा सी बात होती है तो तन्हा छोड़ जाते हैं
मोहब्बत कर के लोगों से संभाली क्यों नही जाती।
Zara si baat hoti hai to tanha chhod jate hain
Mohabbat kar ke logon se sambhaali kyon nahi jaati.
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