shayari hi sharai

Rizwan Ahmed (Saif)

میرے مطلب کا تھا وو شکحش 
افسوس کے مطلبی______نکلا 

मेरे मतलब का था वो शख्श 
अफसोस के मतलबी निकला

Mere matlab ka tha wo shakhsh 
Afsos ke__________matlabi nikla 

اچّھے لگتے ہو تم سو ہمنے بتا دیا 
نکسان یہ ہوا کے تم مغرور ہو گئے 

अच्छे लगते हो तुम सो हमने बता दिया
नुकसान ये हुवा के तुम मगरूर हो गए.!

Achche lgte ho tum so humne bata diya
Nuksan ye huwa ke tum magrur ho gaye.

Dheron Shayariyan Yahan milengi

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اور پھر تمسا عزیز 
ہمنے کسی کو نہی رکھا 

और फिर तुमसा अज़ीज़
हमने किसी को नही रखा।

Aur phir tumsa aziz
Hmne kisi ko nahi rkha.


تمہے زندگی بھر یاد کرنے کا ارادہ تو نہیں تھا 
پر ایک پل بھی تم بھلاے نہیں جاتے 

तुम्हे ज़िन्दगी भर याद करने का इरादा तो नही था
पर एक पल भी तुम भुलाए नही जाते.!!

Tumhe zindagi bhar yaad karne ka irada to nahi tha
Par ek pal bhi tum bhulaye nahi jaate.

دل کی بستی ایجاد کر چلا گیا 
جسنے زندگی گلزار کرنے وادا کیا تھا 

दिल की बस्ती उजाड़ कर चला गया
जिसने ज़िन्दगी गुलज़ार करने का वादा किया था

Dil ki basti ujaad kar chala gaya
Jisne zindagi gulzar karne ka vada kiya tha

ایک دوسرے کو بیوکوف بنانے کو 
نامے موہببت دیا ہے کچھ لوگوں نے 

एक दूसरे को बेवकूफ बनाने को 
नाम-ए-मोहब्बत दिया कुछ लोगों ने

Ek doosre ko bewkoof banane ko
Naam-e-mohbbt diya kuch logon ne



इसको किया हौंसला नही कहते
तुझे दिल से भुला दिया हमने।

Isko kiya haunsla nahi kahte
Tujhe dil se bhula diya hamne

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