Rizwan Ahmed (Saif)
کوئی بھی انسان ان پورا سال 24 گھنٹے
ہماری امیدوں پر پورا نہیں اتر سکتا تو درگزر کرنا سیکھیں
कोई भी इंसान पूरा साल चौबीस घंटे हमारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकता
तो दरगुज़र करना सीखें
No human being can live up to our expectations 24 hours a day
so learn to pass
پوچھا تھا حال اسنے بہت مدّتوں کے بعد
کچھ آنکھ مے پرڈ گیا یہ کہ کے رو پڑے
पूछा था हाल उसने बहुत मुद्दतों के बाद
कुछ आंख में पड़ गया ये कह के रो पड़े.!!
Poocha tha haal usne bhut muddaton ke
Kuch aankh mein pad gaya ye kah ke ro pade.
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ضروری نہیں کوئی تھک جائے تو ہار بھی جائے گا تھکتے
ہم دوسروں کے
غلط رویوں سے ہیں اور ہارتے ہم اپنے غلط فیصلوں سے ہیں
ज़रूरी नहीं कोई थक जाए तो हार भी जायेगा
थकते हम दूसरों के गलत रवैयों से हैं और हारते हम
अपने गलत फैसलों से हैं
It is not necessary that if someone gets tired, he will also lose.
We are tired of the wrong attitudes of others and we lose
from your bad decisions
تیرے تکبر سے زیادہ ہے گستاخ میرا لہجہ
میرا ظرف نہ آزما مجھے خاموش رہنے دے
तेरे तकब्बुर से ज्यादा है गुस्ताख़ मेरा लहजा
मेरा ज़र्फ़ ना आज़मा मुझे खामोश रहने दे
Tere takabbur se jyada hai gustakh mera lahja
mera zarf naa aazma mujhe khamosh rahne de,
اسکی آنکھ بھی بتا دیتی ہیں
رات بھر وو سو نا پایا لوگوں
उसकी आँखे भी पता देती हैं
रात भर वो सो ना पाया लोगों
Uski aankhe bhi pata deti hain
raat bhar wo so na paya logon
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