chirag dil ka jalao lyrics

 


Rizwan Ahmed (Saif)


गीत: चिराग़ दिल का जलाओ 

गीतकार: मज़रूह सुल्तानपुरी 

गायक: मोहम्मद रफ़ी 

संगीतकार: मदन मोहन 

फिल्म: चिराग़ (1969)



चिराग दिल का जलाओ बहोत अंधेरा है
चिराग दिल का जलाओ बहोत अंधेरा है
कहीं से लौट के आओ बहोत अँधेरा है
चिराग दिल का जलाओ बहोत अंधेरा है

कहाँ से लाऊं
कहाँ से लाऊं वो रंगत गयी बहरों की
कहाँ से लाऊं वो रंगत गयी बहरों की
तुम्हारे साथ गयी रोशनी नज़ारों की
मुझे भी पास बुलाओ बहोत अँधेरा है
चिराग दिल का जलाओ बहोत अंधेरा है

सितारों तुम से अँधेरे कहाँ सँभालते है
सितारों तुम से अँधेरे कहाँ सँभालते है
उन्ही के नक़्शे क़दम से चिराग जलाते है
उन्ही को ढूंढ के लाओ बहोत अँधेरा है
चिराग दिल का जलाओ बहोत अंधेरा है
कहीं से लौट के आओ बहोत अँधेरा है
चिराग दिल का जलाओ बहोत अंधेरा है
बहोत अँधेरा है
बहोत अँधेरा है


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