Rizwan Ahmed (Saif)
वो लड़की शायद पागल है
किया सब्र है उस दीवानी का
किया ज़ब्त मोहब्बत करती है
आँखों में नीम नशा सा है
बातों से दीवानी लगती है
हमराज़ ना है उसका कोई
बस रब से बातें करती है
दिन रात ही गुमसुम रहती है
एक शर्म हया का पैकर है
कुछ नर्म मिजाज़ वो दिखती है
एक शाम के आँचल में अक्सर
जज़्बात छिपाये रखती है
डरती है जुदा होने से
या प्यार से शायद डरती है
है रश्क़ मुझे उस पागल पर
किया खूब मोहब्बत करती है
हमराज़ ना है उसका कोई
बस रब से बातें करती है.........
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