tanhaaiyan

 


Rizwan Ahmed (Saif)


कभी अंधेरों से डरता था 

आज तन्हाइयों में खुश रहता हूँ 

मैं अपने माँ बाप का बहुत लाडला था 

आज तन्हाइयों में रोया करता हूँ 

मेरे ग़मों से बिलकुल अनजान है ये दुनिया 

कभी मुझको तनहा देखना कितना बेबस होता हूँ 

मैं दुनिया की रोशनियों से तंग आकर 

अपनी तन्हाइयों को अपना दोस्त बना लेता हूँ 

लबों पर मेरे किसी बात का शिकवा नहीं होता 

मगर तन्हाइयो में खुद से बहुत शिकायत करता हूँ 

मैं खुश मिजाज़ बहुत हूँ मगर सबके सामने 

तन्हाइयों में तो बस छुप छुप कर रोया करता हूँ 



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