Rizwan Ahmed (Saif) 01-07-2022
آخریسانس تو مقرر ہیں سب کی لیکن
موت کچھ اور ہے، کچھ اور ہے مارا جانا
आखरी सांस तो सबकी है मुकर्रर लेकिन
मौत कुछ और है, कुछ और है मारा जाना
میری سمجھ سے باہر ہے صاحب
میرے اندر بیٹھا ہوا شخص
मेरी समझ से बाहर है,साहब
मेरे अंदर बैठा हुवा शख्श
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