Rizwan Ahmed (Saif) 14-11-2021
मैं गुनगुना रहा हूँ वो मेरे पास बैठी है:
वो बात करे तो हर लफ्ज़ से खुशबु आये
ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आये,
तुझसे मिलने की जुस्तजू भी है और तू मेरे रूबरू भी
है पहले चाहा के दिल जला डालूं फिर ये सोचा के दिल में तू भी है,
तुम मेरे पास जब आजाओ तो जाया ना करो
और जाने का इरादा है तो आया ना करो
कहाँ ले जाऊं दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है
यहाँ परियों का मज़मा है वहां हूरों की महफ़िल है,
दिल को हर वक़्त तसल्ली का गुमां होता है
दर्द होता है मगर जाने कहाँ होता है,
वो पूछ रही है:
अच्छा ये बताओ दर्द कहाँ होता है
मैं जवाब दे रहा हहूँ :
आप क्यों पूछते हो मेरे दर्द का हाल जाना
एक जगह हो तो बता दूँ के यहाँ होता है
दर्द होता है मगर जाने कहाँ होता है,
वो नाराज़ हो कर बोली अच्छा आप मुझसे नाराज़ हो तो मैं चलती हूँ:
मैंने जवाब दिया:
आप आएं तो सुकून आप ना आये तो सुकून
दर्द में दर्द का अहसास कहा होता है,
दर्द होता है मगर जाने कहाँ होता है,
आप नाराज़ ही सही बात तो कीजे मुझसे
कुछ ना कहने से मुहब्बत का गुमां होता है,
दर्द होता है मगर जाने कहाँ होता है,
दिल को हर वक़्त तसल्ली का गुमां होता है
दर्द होता है मगर जाने कहाँ होता है,
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