Hasrat mohani Shayari in hindi

 

चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है


म को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है



नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
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और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है
इक तिरे दर्द को पहलू में छुपा रक्खा है


शाम हो या कि सहर याद उन्हीं की रखनी
दिन हो या रात हमें ज़िक्र उन्हीं का करना 

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चाहत मिरी चाहत ही नहीं आप के नज़दीक
कुछ मेरी हक़ीक़त ही नहीं आप के नज़दीक


मालूम सब है पूछते हो फिर भी मुद्दआ
अब तुम से दिल की बात कहें क्या ज़बां से हम

हर बात में उन्हीं की ख़ुशी का रहा ख़याल
हर काम से ग़रज़ है उन्हीं की रज़ा मुझे


दिल ओ जान ओ जिगर सब्र ओ ख़िरद जो कुछ है पास अपने
ये सब कर देंगे हम उन पर निसार आहिस्ता आहिस्ता

छुप के उस ने जो ख़ुद-नुमाई की
इंतिहा थी ये दिलरुबाई की


तलब मेरी बहुत कुछ है मगर क्या
करम तेरा है इक दरिया अता का

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