Meri Nigah Mei Kiya Ban Ke Aap Rahte Hain


Rizwan Ahmed 01-November-2020


मेरी निगाह में किया बन के आप रहते हैं 

         à¤•à¤¸à¤® वफ़ा की वफ़ा बन के आप रहते हैं 

ज़माना सदियों से जिसकी तलाश करता है 

         à¤‰à¤¸ी ख़ुशी का पता बन के आप रहते हैं  

मेरी निगाह में किया बन के आप रहते हैं 

         à¤•à¤¸à¤® वफ़ा की वफ़ा बन के आप रहते हैं 

सफर की धूप में जब छाओं की तमन्ना हो 

          तो मेरे साथ घटा बन के आप रहते हैं 

मेरी निगाह में किया बन के आप रहते हैं 

         à¤•à¤¸à¤® वफ़ा की वफ़ा बन के आप रहते हैं 



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