कभी नेताओं के बच्चों ने जय श्रीराम नारा ए तकबीर पुकारा है
उनके बच्चे तो पढ़ते हैं विदेशों में और मज़े लेते हैं महफ़िल में,
Rizwan Ahmed 14-Oct-2020
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किया ले कर जाओगे भला बताओ तो इस नफरत भरे दिल में
एक दिन खुदा को मुँह दिखाना है भर लो मोहब्बत इस दिल में
कोई जल के जायेगा कोई मनो मिटटी तले दफ़न हो जाएगा
जाना है मगर ज़रूर छोड़ के ये दुनिया ये ख्याल रखो इस दिल में
ना मेरा मज़हब ज़ुल्म सिखाता है ना तेरा धर्म सिखाता है बुराई
वो कोई लालची है सत्ता का जो डालता है नफरत हमारे दिल में
कभी नेताओं के बच्चों ने जय श्रीराम नारा ए तकबीर पुकारा है
उनके बच्चे तो पढ़ते हैं विदेशों में और मज़े लेते हैं महफ़िल में
धर्म तेरा हो या धर्म मेरा ये सब अंदर की मेरे तेरे घर की बातें हैं
बाहर समाज में हम सब हैं हिन्दस्तानी ये बिठा लो अपने दिल में
नफरतों में बर्बादी मोहब्बतों में है आबादी ये बात हर कोई है जाने
जो नहीं जानता आओ मिल कर हम डालें ये बात उसके दिल में
ना तेरा कुछ बिगाड़ा मैंने ना मेरा तूने कुछ बुरा है किया है
फिर कैसी ये दूरियां हैं कैसी ये रंजिशे आओ टटोलें इस दिल में
चलो मिटायें रंजिशों को नफरतों को भूल कर सब शिकवे गिले
आओ कर लें दोस्ती भूल जाए नफरत जो भरी हुई है इस दिल में
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