Rizwan Ahmed 14-Oct-2020
हमारी रगों में खून बन कर वो दौड़ता है
हमारे दिलों में अरमान बन कर वो मचलता है
कटा दिए सर हमारे आबा-ओ-अज़दा ने इसके लिए
नहीं हटेंगे हम भी ज़रा पीछे सर कटाने से इसके लिए
कुछ मालूम है तुम्हे उसे हम हिंदुस्तान कहते हैं
उसे हिंदुस्तान कहते हैं हम अपनी जान कहते हैं
मेरे हिंदुस्तान से मोहब्बत मेरे आका ﷺ को भी थी
हिन्द से दीन की खुशबु आप ﷺ को सैकड़ों साल पहले आगई थी
हमारे मुल्क से मोहब्बत हमे इस्लाम ने सिखाया है
आंच ना आने देना मुल्क पे ये इस्लाम ने बताया है
कुछ मालूम है तुम्हे उसे हम हिंदुस्तान कहते हैं
उसे हिंदुस्तान कहते हैं हम अपनी जान कहते हैं
हमारे मुल्क के मदरसे रात दिन हमें खूब पढ़ाते हैं
इंसानियत की बातें बस हमें इंसान बनना सिखाते हैं
गरीबों के बच्चे हो या हों बड़े अमीरों की संतानें
एक बर्तन में पीते हैं एक बर्तन में खाते हैं
कुछ मालूम है तुम्हे उसे हम हिंदुस्तान कहते हैं
उसे हिंदुस्तान कहते हैं हम अपनी जान कहते हैं,
हमारे मुल्क में हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई साथ रहते हैं
ये सब हैं आपस में भाई भाई ये हमको मदरसे सिखाते हैं
तकलीफ में हिन्दू मुस्लिम हो चाहे सिख ईसाई हो
मचल कर फ़ौरन मदद करना देख कर अपने भाई को
कुछ मालूम है तुम्हे उसे हम हिंदुस्तान कहते हैं
उसे हिंदुस्तान कहते हैं हम अपनी जान कहते हैं,
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