Hazrat Musa Ka Mojza Firoun Ki Maut Dariya E Neel Ka Waqiya

ऐ फिरौन हम तेरी लाश और तेरे तकब्बुर (घमंड) को आने वाले लोगों के लिए निशानी और इबरत (सबक) बनाएंगे, ताकि हर इंसान ये जान ले के ज़मीन पर इंसान को तकब्बुर रास नहीं आता, आज भी अल्लाह ने फिरौन की लाश को इबरत का निशान बना रखा है

Rizwan Ahmed 13-Oct-2020

मै आपका दोस्त रिज़वान अहमद फिर से हाज़िर हूँ आपके लिए मूसा अलैहिस्सलाम का एक हैरत अंगेज़ वाक़िया लेकर,


जब भी अल्लाह की ज़मीन पर किसी ने ज़ुल्म किया तकब्बुर (घमंड) किया तो अल्लाह ने उसे इबरत (सबक़) का निशान बना दिया,

मूसा अलैहिस्सलाम के ज़माने में मिस्र का बादशाह जिसे पूरी दुनिया फिरौन के नाम से जानती है, वो इंसानो पर ज़ुल्म करता था,


और जो जो लोग गरीब थे उन का हक़ मारता था उनको बहुत कम मज़दूरी देता था और काम बहुत सख्ती से लेता था, और जो उसका गुलाम नहीं बनता था उसको क़त्ल कर देता था,

अल्लाह ने अपने नबी मूसा अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया, के ऐ मूसा फिरौन तक मेरा पैगाम पहुंचाओ के वो इंसानो पर ज़ुल्म ना करे वरना अल्लाह का अज़ाब उसे बर्बाद कर देगा हलाक कर देगा उसे ले डूबेगा, 

जब अल्लाह के नबी ने अल्लाह का पैगाम फिरौन को दिया तो वो मज़ाक उड़ाने लगा और कहने लगा यहाँ का खुदा मै हूँ और मै किसी के हुक्म को नहीं मानता, 

मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म से फिरौन को बहुत सी निशानियां दिखाईं, पूरा मिस्र अल्लाह की निशानियों को देख कर हैरान हो गया था, कुछ लोग ईमान ले आये और कुछ लोग फिरौन से सवालात करने लगे, 


आख़िरकार  फिरौन अल्लाह की निशानियों को देख कर बजाये ईमान लाने के वो उल्टा गुस्से में आग बबूला हो गया और कहने लगा मै मूसा और उसकी क़ौम बनिइसराइल को क़त्ल कर दूंगा खत्म कर दूंगा,      

अल्लाह ने अपने नबी मूसा अलैहिस्सलाम को पैगाम भेजा कहा के ऐ मूसा रात को अपनी क़ौम को लेकर इस शहर से निकल जा और फिर मूसा अलैहिस्सलाम अपनी क़ौम को लेकर वहां से निकल गए,


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जब इस बात का पता फिरौन को चला तो वो ग़ज़बनाक हो कर कहने लगा कुछ भी हो जाये मै मूसा और उसकी क़ौम को क़त्ल करके रहूँगा और फिर वो अपना लश्कर लेकर मूसा और उनकी क़ौम के पीछे निकला,    

आगे आगे अल्लाह के नबी मूसा अलैहिस्सलाम अपनी क़ौम के साथ और पीछे पीछे फिरौन गुस्से और जलाल में भरा हुवा फिरौन, 

चलते चलते मूसा और उनकी क़ौम दरिया-ए-नील तक पहुंचे पीछे से फिरौन और उसका लश्कर भी पहुँच गए,


जब सामने दरिया-ए-नील और पीछे से फिरौन के लश्कर को मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोगों ने देखा तो वो घबराये और कहने लगे मूसा ये तुमने हमें कहाँ फसा दिया अब बताओ कहाँ जाए आगे ठाठें मारता दरिया और पीछे क़त्ल को तैयार फिरौन और उसका लश्कर,

अल्लाह के नबी मूसा अलैहिस्सलाम फरमाने लगे के ऐ लोगों घबराओ नहीं अल्लाह हमारे साथ है, ये कभी हो ही नहीं सकता के फिरौन और उसका लशकर हमें पकड़ ले, सब कहने लगे ऐ मूसा आगे तो ये खतरनाक दरिया है अब हम आगे जायेंगे कैसे,

बस फिर किया था आसमान से एक आवाज़ आई के ऐ मूसा अपना असा (लाठी) दरिया में मारो, जैसे ही मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी लाठी दरिया में मारी तो आधा पानी इस तरफ आधा पानी उस तरफ खड़ा हो गया और बीच में एक साफ़ रास्ता निकल आया,


तो बनीइसराइल के कुछ कबीलों के लोग कहने लगे के ऐ मूसा हमारी आपस में बनती नहीं अपने अल्लाह से कह हमारे लिए अलग अलग रास्ते बनाये, 

तो अल्लाह के नबी मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी असा बारह अलग अलग जगह पर दरिया में मारी तो दरिया से बारह अलग अलग रास्ते निकल आये, और वो बारह कबीले अलग रास्तों से होकर दरिया-ए-नील को पार करने लगे, 

जैसे ही ये मंज़र फिरौन और उसके लश्कर ने देखा तो वो भी उन रास्तों पर उनके पीछे जाने लगे, जैसे ही मूसा अलैहिस्सलाम अपनी क़ौम के साथ दरिया के उस पार पहुंचे, तो अल्लाह ने वापस दरिया को हुक्म दे दिया के पहले जैसा हो जा और दरिया वापस अपनी पहले वाली हालत आ गया और बस फिर किया था फिरौन और उसका लश्कर पानी में डूब कर मरने लगा,


    

मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम ये नज़ारा देख रहे थे और अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे थे, इतनी देर में फिरौन चीखने लगा और चीख कर कहने लगा के मै भी मूसा और हारुन के "रब" ईमान लाता हूँ, मै भी ईमान लाता हूँ के मूसा का अल्लाह बड़ी क़ुदरत वाला है, इतनी देर में गैब (आसमान) से आवाज़ आई के ऐ  फिरौन अब ईमान लाता है जब तू दोज़ख की देहलीज तक पहुँच गया है अब कोई फ़ायदा नहीं, 

ऐ फिरौन हम तेरी लाश और तेरे तकब्बुर (घमंड) को आने वाले लोगों के लिए निशानी और इबरत (सबक) बनाएंगे, ताकि हर इंसान ये जान ले के ज़मीन पर इंसान को तकब्बुर रास नहीं आता, आज भी अल्लाह ने फिरौन की लाश को इबरत का निशान बना रखा है,

नोट: फिरौन की लाश आज भी मिस्र के अंदर सही सलामत रखी है,

बेशक जिस इंसान ने तकब्बुर किया इंसानो पर ज़ुल्म किया वो अल्लाह की रहमत दूर हो कर दोज़ख तक पहुँच जाता है,                 

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