Rizwan Ahmed 18-Oct-2020
कबूतर की तरह बिल्ली को देख आँखे मूंदे सब बैठे हैं
जबकि मालूम है सबको एक दिन मौत पंजा मारेगी
आज जो लोग झूंठ बेशर्मी से बेग़ैरती से जीत जाते हैं
मालूम है उनको भी एक दिन ज़िन्दगी मौत से हारेगी
सोचते हैं नादान जो भी कुछ है हमारे लिए बस दुनिया है
याद रखो क़ुदरत इसी दुनिया को हमारे सर पे दे मारेगी
दुनिया बनाने वाले की इस पूरी दुनिया पे पूरी नज़र है
हमको हो ना हो उसको हमारे हर किये की खबर है
वो तो हमारी सबसे करीबी नस से भी बहुत ज्यादा करीब है
एक दिन हमारी नस नस में उसकी लाठी की आवाज़ गूंजेगी
आज ताकत शोहरत के घमंड में जो भी ज़ालिम चूर चूर है
यही ताक़त शोहरत एक दिन उसकी मुसीबत का सबब बनेगी
मज़लूमों को सताते हो फिर मज़लूमों के हमदर्द बनते हो
गरीबी हटाने की बात करते हो और गरीबी का सबब बनते हो
सोचते होंगे के सब कुछ यूँ ही इसी तरह से भुला दिया जायेगा
याद रखना मज़लूमों के हर आंसू का तुमसे हिसाब लिया जायेगा
सब कुछ भुला सकता है वो मगर ज़ालिमों के ज़ुल्मों को नहीं
मज़लूमों की सदा तुम ना सुनो उनकी सदा आसमान पर जाएगी
कबूतर की तरह बिल्ली को देख आँखे मूंदे सब बैठे हैं
जबकि मालूम है सबको एक दिन मौत पंजा मारेगी
आज जो लोग झूंठ बेशर्मी से बेग़ैरती से जीत जाते हैं
मालूम है उनको भी एक दिन ज़िन्दगी मौत से हारेगी
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