बादशाह ने इनाम के तौर पर अपने गले का एक क़ीमती हार उस बेवकूफ के गले में दाल दिया, और वो बेवकूफ इनाम पा कर ख़ुशी ख़ुशी अपने घर लौट गया,
Rizwan Ahmed 13-Oct-2020
मै आपका दोस्त रिज़वान अहमद फिर से हाज़िर हूँ आपके लिए एक दिलचस्प कहानी लेकर,
एक इंसानो की प्लानिंग होती है एक अल्लाह पाक की प्लानिंग होती है, हम सब हैरान होते हैं ये देख कर के अल्लाह पाक ने क्यों ऐसे लोगों को ढील दी हुई होती है जो अपने से कमज़ोर लोगों पर ज़ुल्म करते हैं,
अगर सोचें तो अल्लाह की प्लानिंग समझ में आती है, अल्लाह तआला जब तक मज़लूमों पर ज़ुल्म करने वाले और मज़हब (धर्म) के नाम पर सियासत करने वालों को पूरी तरह बेनक़ाब नहीं कर देता जब तक उनके एक एक राज़ को दुनिया के सामने ना ले आये तब उन्हें ढील दी जाती है तब तक अल्लाह का निज़ाम हरकत में नहीं आता ,
बहुत पहले की बात है एक राजा हुवा करता था उसने एक बार ऐलान किया के जो सल्तनत का सबसे बेवकूफ इंसान है उसे मेरे सामने हाज़िर करो, और इस काम के लिए राजा ने अपने सिपाही और वज़ीर सल्तनत में दौड़ा दिए जो भी सबसे बेवकूफ इंसान हो उसे मेरे सामने लाओ,
बादशाह तो बादशाह होते हैं हुक्म था और इस पर अमल हुवा पूरे मुल्क में जहाँ भी बेवकूफ नज़र आया उसको पकड़ कर बादशाह के सामने पेश कर दिया गया,
बादशाह ने सबका इम्तहान लिया और आखिरकार एक सख्स को सबसे बेवकूफ होने के ख़िताब से नवाज़ा, बादशाह ने इनाम के तौर पर अपने गले का एक क़ीमती हार उस बेवकूफ के गले में दाल दिया, और वो बेवकूफ इनाम पा कर ख़ुशी ख़ुशी अपने घर लौट गया,
एक अरसे बाद वो बेवकूफ बादशाह से मिलने गरज से वापस आया उस वक़्त बादशाह बहुत बीमार था अपना आखरी वक़्त गुज़ार रहा था,
बादशाह को बताया गया के फलाँ बंदा जो बेवकूफों की दौड़ में अव्वल आया था वो आपसे मिलना चाहता है, बादशाह ने इजाज़त दे दी, वो बेवकूफ बंदा बादशाह के सामने हाज़िर हुवा, और पुछा बादशाह सलामत आप लेटे हुवे क्यों हैं कहीं आप बीमार तो नहीं,
बादशाह मुस्कुराया और बोला मै अब उठ नहीं सकता अब मै एक ऐसे सफर पर जा रहा हूँ जहाँ से वापसी नहीं होती और वहां जाने के लिए लेटना ज़रूरी है, बादशाह की इस बात को सुनकर बेवकूफ को बहुत हैरत हुई उसने हैरान होकर पुछा बादशाह सलामत वापस नहीं आना किया आपने हमेशा वहीँ रहना है, बादशाह ने बेबसी से कहा हां अब मुझे हमेशा वहीँ रहना है,
वो बेवकूफ कहने लगा बादशाह सलामत आपने यक़ीनन वहां बहुत बड़ा आलीशान महल बहुत से गुलाम और आराम की बहुत सारी चीज़ें पहले ही रवाना कर दिए होंगे, उसकी ये बात सुनकर बादशाह चीख मार कर रो पड़ा,
बेवकूफ ने हैरत से बादशाह की तरफ देखा उसे समझ नहीं आरहा था के बादशाह क्यों रो रहा है, रोते हुवे बादशाह की आवाज़ निकली, नहीं मैंने वहां एक झोपडी भी नहीं बनाई, जिस पर बेवकूफ बोला बादशाह सलामत ऐसा कैसे मुमकिन है आप सबसे ज्यादा समझदार हैं इस मुल्क के बादशाह हैं अपने आपको तमाम लोगों बेहतर समझते हैं, तो ये कैसे मुमकिन है मुझे यक़ीन है आपने वहां अपने आराम के लिए और अपनी ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए कुछ ना कुछ पहले ही भेज दिया होगा आपने वहां रहने के लिए कुछ ना कुछ इंतज़ाम कर लिया होगा ,
बादशाह दहाड़े मार कर रोने लगा बादशाह के लहजे में बला का दर्द था रोते रोते बादशाह बोला हाय अफ़सोस मैंने वहां रहने का कोई इंतज़ाम नहीं किया,
इस पर वो बेवकूफ उठा और अपने गले से वही हार जो बादशाह ने उसे इनाम के तौर पर दिया था उतारा और उसे वापस बादशाह के गले पहनाते हुवे बोला बादशाह सलामत मेरे ख्याल में आप मुझसे ज्यादा बेवकूफ हैं और इस हार के हक़दार भी आप ही हैं,
मेरे प्यारे भाइयों और दोस्तों ये ज़िंदगी बहुत ज्यादा बड़ी नहीं है बहुत ही मुख़्तसर है, और मौत का कोई पता नहीं कब आये और हमें दबोच ले, इसलिए जितना मुमकिन हो सके इस दुनिया में नेक आमाल करें खुदा-ना-खास्ता अगर अचानक मौत आगई और हमारे पास कोई नेकी या नेक आमाल ना हुवा तो रोज़-ए-महशर हम अल्लाह को किया मुँह दिखाएंगे रोज़-ए-महशर तो दूर है हम क़ब्र के अज़ाब क़ब्र के फरिस्तों मुनकिर नकीर के सवालों का कैसे सामना करेंगे, इसलिए दोस्तों हमे हर हाल में बुराइयों से बचना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा नेक अमल करने चाहियें,
क्योंकि कोई बादशाह हो फ़कीर अमीर हो गरीब हो चाहे कोई मिडिल क्लास हो सबको वहां खाली हाथ ही जाना है अगर वहां कुछ हमारे साथ जाएगा तो वो हमारे आमाल होंगे चाहे जैसे भी हों अच्छे या बुरे बस वहां हमारे साथ हमारे आमाल ही होंगे आमाल ही हमें बचाएंगे आमाल ही हमें वहां बर्बाद करेंगे, इसलिए जितना हो सके बुराइयों से बचो और ज्यादा से ज्यादा नेक अमल करो,
ज़िन्दगी तो बर्फ की सिल्ली की तरह पिघल ही रही है मेरी तो यही दुआ है अल्लाह मुझे और सब मुसलमानो और दुनिया के हर इंसान को आख़िरत की फ़िक्र नसीब फरमा आमीन,
Thanks For Reading....
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