अपने हबीब ï·º की शान में सारा क़ुरआन लिख दिया ,
इश्क़ के जूनून से तो यारों खुदा à¤ी ना बच सका..
हम आक़ा ï·º के उम्मतीं हैं किसी शाख के पत्ते नही.!!
(रिज़वान)
सुनो आंधी तुफानो ज़रा अपनी औक़ात में रहो
हम आक़ा ï·º के उम्मतीं हैं किसी शाख के पत्ते नही.!!
(रिज़वान)
ये काफी नही के उनके दर पे जिब्राइल गुलाम बन के आते हैं.!!
(रिज़वान)
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