मधुबाला को बहुत को बहुत बड़ा झटका झटका लगा था जब इस एक्ट्रेस को दिलीप कुमार के साथ देखा था ,
Rizwan Ahmed 90-September-2020
मै आपका दोस्त रिज़वान अहमद आज मै आपके लिए फ़िल्मी ख़ज़ाने से एक ऐसा नायब मोती चुन कर लाया हूँ जिसे आज की युवा पीढ़ी तो शायद नहीं जानती होगी लेकिन पुरानी फिल्मों के शौक़ीन उससे अच्छी तरह से वाकिफ होंगे,,
दूरदर्शन का एक एहसान दुनियावी ऐतबार से ता-उम्र रहेगा. उसने हमें सिनेमाई लैजेंड्स की फ़िल्में देखने का मौका दिया. अब मनोरंजन के सौ तरीके हमारे आसपास उपलब्ध हैं. उस समय दूरदर्शन बड़ी नेमत लगता था. विशिष्ट होने का भाव भी देता था. बीते ज़माने की लोकप्रिय अदाकारा निम्मी अब हमारे बीच नहीं हैं . निम्मी से पहला परिचय इसी दूरदर्शन से हुआ और दूसरा हमारे पापा ने पुरानी फिल्मे हमें ज़बरदस्ती दिखा दिखा कर गुज़रे ज़माने के लगभग सभी कलाकारों से हमारी पहचान करा दी थी . निम्मी को मै बचपन ही से पहचानता हूँ,
निम्मी को ज्यादातर एक बहुत ही साधारण से गेटअप में देखा गया है,बिखरे हुवे बाल गाँव की सीधीसाधी लड़की के मेकअप में निम्मी ज्यादातर हमें दिखाई देती थी,
जिया बेक़रार है, छाई बहार है. आजा मोरे बालमा, तेरा इंतज़ार है.
सूरज देखें, चंदा देखें, सब देखें, हम तरसे हो. जैसे बरसे कोई बदरिया, ऐसे अखियां बरसे.
निम्मी का फिल्मी करियर अपने पूरे उठान पर था. जिस वक़्त उन्होंने फ़िल्म जगत को अलविदा कहा. उनकी पचास से ज़्यादा फिल्मों की सूची को देखना रोचक है. महबूब खान, राजकपूर जैसे निर्माता-निर्देशक के साथ काम किया. मधुबाला, श्यामा, सुरैया, माला सिन्हा, नरगिस, दिलीप कुमार, देवानंद, राजकपूर, प्रेमनाथ, राजेन्द्र कुमार, धर्मेंद्र जैसे आला कलाकार उनके फिल्मी करियर के साथी रहे.
फ़िल्मी दुनिया में दस्तक
नवाब बानो- जी हाँ निम्मी का यही असली नाम है दरअसल फिल्मो को निम्मी राजकपूर की देन है, निम्मी आगरे की थी वो पाकिस्तान चली गईं थीं बाद में निम्मी वापस मुम्बई आगई थीं,
महबूब खान फिल्म जगत के बहुत बड़े निर्माता निर्देशक थे, एक रोज निम्मी फिल्म अंदाज़ के सेट पे अपनी के साथ आईं थीं, क्योंकि राजकपूर भी वहीँ सूटिंग पर मौजूद थे राजकपूर को अपनी एक फिल्म के लिए नई एक्ट्रेस की तलाश थी, वो उस वक़्त बरसात फिल्म बना रहे थे, निम्मी को प्रेमनाथ के अपोज़िट सेकंड लीड रोल के लिए साइन कर लिया,
आइये फिल्म का एक सीन देखते हैं देखते हैं,
सिनेमाई ज़बान में कहें तो यह एंट्री ग्रैंड थी. ‘जिया बेक़रार है, बरसात में हमसे मिले तुम सजन’ सरीखे गीत बेहद चर्चित रहे. फिर तो उनके हिस्से शानदार बैनर्स आए. बेमिसाल एक्टर्स के साथ काम मिलने लगा. एक से बढ़कर एक गीतों की दौलत भी मिली. ‘दाग’, ‘दीदार’, ‘आन’, ‘बसंत बहार’, ‘उड़न खटोला’, ‘राजमुकुट’, ‘सज़ा’, ‘पूजा के फूल’, ‘भाई-भाई’ जैसी अनेक फिल्में.
‘नैन मिले चैन कहां, दिल है वहीं तू है जहां’, ‘दिल का दीया जलाके गया, ये कौन मेरी तन्हाई में’, ‘न मिलता ग़म तो बर्बादी के अफ़साने कहां जाते.’ ऐसे कितने सदाबहार गीत हम सबके ज़ेहन में उनकी अमानत के तौर पर रह गए हैं. ‘भाई-भाई’ फ़िल्म का ‘इस दुनिया में सब चोर-चोर’ गीत जिस शोखी के साथ निम्मी ने निभाया है, वह उनकी क़ाबिलियत का एक अलग स्तर है,
अभिनय का लोहा तो निम्मी अपनी पहली फिल्म बरसात से ही मनवा चुकी थीं, याद कीजिए ‘बरसात’ का वह दृश्य, जहां वे ऊंचाई से अपने नायक को देखती हुई खुद से कहती है –
“अगर किसी दिन मैंने तुम्हें किसी दूसरी लड़की के साथ देखा तो याद रखना..
एक प्रेमिका की पीर का अद्भुत दृश्य है. राजेन्द्र कुमार और साधना के साथ ‘मेरे महबूब’ आधिकारिक तौर पर निम्मी की अंतिम फ़िल्म है.
फिल्मजगत में थोड़ी सी रेतीली सफलता जीरे-भर लोगों को लकी कबूतर बना देती है. वहीं दुनिया की हज़ार नेमतें, इज़्ज़त, शौहरत, दौलत पाकर भी निम्मी उतनी ही ज़मीनी रहीं. यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत रही जो उन्हें दूसरों से अलग करती थी. राजकपूर ने हमेशा उनको अपनी बहन-सा मान दिया. निम्मी ने ‘आन’, ‘मदर इंडिया’, ‘अंदाज़’, ‘रेशमा और शेरा’ जैसी शानदार फिल्मों के लेखक सैय्यद अली रज़ा से शादी रचाई. इस प्यारे जोड़े के हिस्से कोई साहिबे-औलाद न हुई. सो निम्मी ने अपनी बहन के लड़के को गोद लिया.
जब दोस्ती के बीच प्यार अड़चन बनने लगा था
एक और किस्सा निम्मी और मधुबाला की दोस्ती से जुड़ा हुआ है. टीवी प्रस्तोता और वेटेरन अभिनेत्री तबस्सुम ने इस किस्से का मज़मून दिया. दिलीप साहब और निम्मी में खूब बनती थी. उन दिनों मधुबाला और दिलीप कुमार के प्रेम की चर्चा भी थी. निम्मी के साथ ऐसा कुछ नहीं था. वह मधुबाला की अच्छी सखी थीं. दिलीप साहब के साथ ‘आन’ में काम कर रहीं थीं. मधुबाला को निम्मी का दिलीप कुमार से इतना घुलना-मिलना रुचा नहीं. सो उन्होंने एक दिन निम्मी से कह दिया –
“तुम्हें यूसुफ साहब अच्छे लगते हैं, तो मैं तुम्हारे लिए उन्हें छोड़ दूंगी.”
निम्मी ने सखी के कहन का मीटर समझ लिया. वह पलट कर बोली – “मुझे मेरा दान में नहीं चाहिए.
निम्मी चली गईं, लेकिन बहुत कुछ छोड़ गईं हैं
निम्मी उर्फ नवाब बानो हिंदुस्तानी सिनेमा का चमकता सितारा थीं. जो जितना आसमान में चमका, उतना ही ज़मीन पर. यह सितारा 18 फरवरी 1933 को इस दुनिया में आया. कल डूब चला. लेकिन उसने अपने पीछे हम सबके हिस्से की खूबसूरत हाज़िरी बनाए रखी है. अपनी फिल्मों से, अपने सदाबहार गीतों से. वह माज़ी आने वाली सदियों में हिंदुस्तानी सिनेमा का एक प्रतिनिधि बना रहेगा.
सज़ा’ (1951) फ़िल्म का निम्मी का वह गीत आज विदा गीत की तरह कानों में बज रहा है –
“तुम न जाने किस जहां में खो गए. हम भरी दुनिया में तन्हा हो गए. मौत भी आती नहीं, आस भी जाती नहीं. दिल को ये क्या हो गया, कोई शै भाती नहीं. लूटकर मेरा जहां, छुप गए हो तुम कहां. तुम कहां, तुम कहां, तुम कहां…”
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