Rizwan Ahmed 24 September 2020
मेरी निगाह में किया बन कर आप रहते हैं
कसम वफ़ा की वफ़ा बन कर आप रहते हैं
ज़माना सदियों से जिसकी तलाश करता है
उसी ख़ुशी का पता बनकर आप रहते हैं
मेरी निगाह में किया बन कर आप रहते हैं
क़सम वफ़ा की वफ़ा बन कर आप रहते हैं
सफर की धूप में जब छाओं की तमन्ना हो
तो मेरे साथ घटा बन कर आप रहते हैं
मेरी निगाहें में किया बन कर आप रहते हैं
क़सम वफ़ा की वफ़ा बन कर आप रहते हैं। ......
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Rizwan Ahmed
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