ना जाने ये फालतू लोग ज़िन्दगी में आते क्यों हैं
आ ही जाते हैं तो नज़दीकियां बढ़ाते क्यों हैं
नज़रे होती हैं कहीं इनकी निशाने ये कहीं लगाते हैं
किसी एक का होकर टिक कर क्यों नही ये बैठ जाते हैं.!!
ना जाने ये फालतू लोग ज़िन्दगी में आते क्यों हैं
आ ही जाते हैं तो नज़दीकियां बढ़ाते क्यों हैं
नज़रे होती हैं कहीं इनकी निशाने ये कहीं लगाते हैं
किसी एक का होकर टिक कर क्यों नही ये बैठ जाते हैं.!!
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