Rizwan Ahmed (Saif)
خاموشی جینے نہیں دیتی
الفاظ تو صرف درد دیتے ہیں
ख़ामोशी जीने ही नहीं देती
अल्फ़ाज़ तो सिर्फ दर्द देते हैं
Khamoshiyan jeene hi nahi detin
alfaz to bas dard dete hain...
میرے ہم نام تو بہت ہوں گے
کوئی مجھ سا ہو تو بتانا
मेरे हमनाम तो बहुत होंगे
कोई मुझसा हो तो बताना
Mere hamnam to bhut honge
koi mujhsa ho to batana
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wo zindagi mein nahi hai
तुझको मगर जीना है
aye mohabbat, hum to mar jayenge
tujhko magar jeena hai,
مجھے کسی اور تجھے کسی اور کے لئے
جو یوں بنایا تو کیوں بنایا گیا
मुझे किसी और तुझे किसी और के लिए
जो यूं बनाया तो क्यों बनाया गया
Mujhe kisi aur tujhe kisi aur ke liye
jo yoon banaya to kyon banaya gaya
خاموشی انہی کی مارتی ہے
جن کی باتیں سکون دیتی ہے
खामोशी उन्ही की मारती है
जिनकी बातें सुकून देती हैं
Khamoshi unhi ki maarti hai
jinki baten sukoon deti hain
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